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    Pointers

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    जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है , Pointer किसी को Point करने का काम करता है | “C” में भी Pointer यही काम करता है | Pointer एक ऐसा Variable होता है जो किसी Data Item के मान को नहीं बल्कि उस Data Item के Memory में Store होने की  Memory Location या Memory Address को Store करता है | आइये इसे समझने की कोशिश करते है |

    Computer  प्रोग्राम की Instructions का उपयोग  करने के लिए Memory का प्रयोग करता है | यानी हम चाहें KeyBoard की एक key ही Press करें या पूरा का पूरा प्रोग्राम Execute कर दें , Computer सर्वप्रथम उस Instruction को Memory में Store करता है | आइये समझते हैं कि मेमोरी क्या होती है ?

    Computer एक Electronic Machine है | हम इसमें जो भी काम करते हैं , वे सभी Electrical Signals के उतार चढाव के रूप में Computer में Input होते है | इन Signals को जब किसी प्रारूप में दर्शाया जाता है , तो उस प्रारूप को Binary Digits कहते हैं | Computer Binary बीजगणित के अनुसार ही काम करता है | Binary गणित में केवल दो ही अंक 0 1 होते है | 0 का अर्थ है Negative या Signal नहीं है और 1 का अर्थ है Positive या Signal उपस्थित है | इन 0 1 को विभन्न समूह में व्यवस्थित करके विभिन्न अंक अक्षर आदि बनाये जा सकते हैं |

    चुंकि हम जितने भी अंक अक्षर व Special Symbols उपयोग में लेते हैं , उनकी कुल संख्या 256 है | ( यानी A to Z तक के 26 Capital letter , 26 Small Letters , 0 से 9 तक के कुल 10 अंक , कुछ Special Symbols जैसे कि #$%@^()_+ आदि , व Alt के साथ प्रयोग होने वाले विभन्न चिन्ह मिला कर कुल 256 चिन्ह ) इन 256 अक्षरों के समूह में सभी आवश्यक अंक अक्षर व Special Symbols आ जाते हैं |

    चुंकि Computer इन अंकों , अक्षरों व Special Symbols को ज्यों का त्यों Accept नहीं कर सकता | क्योंकि कंप्यूटर केवल Signals के  उतार चढाव को केवल Binary रूप में ही Computer को समझाया जा सकता है और Binary अंक तो मात्र दो ही होते हैं | फिर क्या किया जाए ? हम देखते हैं कि इन दो Binary अंकों का समूह बनाया जाए तो निम्न समूह बनते है |

    
    00     10    01    11
    

    यानी दो अंकों विभन्न क्रम में रख कर हम केवल 22 चार समूह प्राप्त कर सकते हैं , जबकि हमें 256 चिन्हों के लिए Binary Digits के समूह की जरुरत है | इसलिए हम दो की बजाये तीन के समूह में इन Binary अंकों को व्यवस्थित करके देखते हैं |

    
    000  001   011   011   010    100    110    111    101
    

    अब दर्शाए  अनुसार 8 समूह 23 बनते है जो की हमारे वांछित चिन्हों 256 से काफी कम है | इसलिए इसी क्रम को और आगे बढ़ाया जाता है और इन्हीं दो Binary Digits को चार – चार के समूह में रखा जाए तो कुल 24 16 समूह बनते हैं |

    यदि हम इन Binary Digits को आठ – आठ के समूह में रखें तो 28 हमारे 256 चिन्हों के लिए 256 Binary Digits के भिन्न – भिन्न समूह प्राप्त हो जाते हैं | यानी दी क्रम से 0 1 को आठ बार भिन्न – भिन्न प्रकार से लिखा जाये और आठ Digits के हर एक समूह को एक चिन्ह प्रदान कर दिया जाए तो हम हमारे चिहों , अंकों व अक्षरों को Computer में Binary Digits के रूप में भेज सकते हैं |

    इन Binary Digits को Computer भाषा में Bits कहते हैं और चुंकि आठ भिन्न प्रकार की Bits से विभन्न 256 चिन्ह प्राप्त किये जाते हैं , इसलिए Memory में भी इस प्रकार की वयवस्थ की गयी है की Input के रूप में आने वाला हर Binary Digits का समूह आठ – आठ के समूह में ही Store हो | इन्हीं आठ – आठ Digits के समूह को Byte कहा जाता है |

    यानी एक Byte में आठ Bit होते हैं | आठ Bit के होने का मतलब है कि भिन्न प्रकार के 0 1 का समूह Memory में Input हुआ या आठ Signals का एक समूह Input हुआ है , जिसमें कुछ Signal में Voltage है व कुछ Signals में Voltage नहीं है |

    Computer की Memory ‘Storage Cells’ का एक क्रमिक समूह होता है और हर Cell एक Byte को इंगित करता है | Memory के हर Storage Cell का एक Unique Number होता है , जिसे उस  मेमोरी या Storage Cell का Address कहते हैं | इस प्रकार से Memory के हर Storage Cell या हर Byte का एक Unique Address होता है और इस Address की कोई इकाई (unit) नहीं होता है | Pointer द्वारा हम इसी Address के साथ प्रक्रिया करते हैं |

     

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