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    Steps of Program


    Steps of Program

    1. (Problem Definition) प्रोग्राम परिभाषा

    इस चरण में उस समस्या को पूरी तरह से समझना होता है , जिसका प्रोग्राम बना कर कंप्यूटर से समाधान प्राप्त करना है | यानि प्रोग्राम के द्वारा हमें क्या परिणाम प्राप्त करना है , यह निष्कर्ष निकलना होता है |

    सारांश :- क्या परिणाम प्राप्त करना है ?

    2. (Problem Design) प्रोग्राम डिजाइन

    इस चारण में समस्या को कई भागों में बांट कर उसे बीजगणितय एल्गोरिदम के अनुसार लिख लिया जाता है | एल्गोरिदम लिखने के लिए फ्लोचार्ट आदि को उपयोग में लिया जाता है |

    सारांश : - कैसे परिणाम प्राप्त करना है ?

    3. (Program Coding ) कोडिंग

    इस चरण में हाई लेवल भाषा के कोडों  के अनुसार एल्गोरिदम व फ्लोचार्ट कि मदद से  प्रोग्राम कि कोडिंग कि जाती है

    सारांश : - कब क्या होगा जब User इसे उपयोग में लेगा ?

    4. (Program Execution) प्रोग्राम को Execute करना

    इस चरण में बनाए गए प्रोग्राम को चलाया जाता है |

    5. (Program Debugging) डिबगिंग

    जब प्रोग्राम को बनया जाता है , तब कई तरह कि गलतियां रह जाती है | जिससे जब प्रग्राम को चलया जाता है तब या तो प्रोग्राम रन नहीं होता है | जब प्रोग्राम को कम्पाइल किय जाता है तो कम्पायलर में एक डिबगर होता है , जो प्रोग्राम में जिस जगह पर गलती होती है , वहीं पर आकार रुक जाता है | हम वहां पर होने वाली बग को सही करके प्रोग्राम को पुनः रन करते है | प्रग्राम में होने वाली गलतियों को ढूँढना व उन्हें सही करना ही डिबगिंग कहलाता है |

    सारांश :- प्रोग्राम कि किसी भी तरह कि व्याकरण सम्बन्धी या तर्क सम्बन्धी गलती को खोजना व उसे संसोधित करके प्रोग्राम को सही करना |

    6. (Program Testing ) प्रोग्राम टेस्टिंग

    कई बार प्रोग्राम पूरी तरह सही रन होता है ,लेकिन फिर भी उसमें  गलती होती है | इसे तार्किक गलती कहते है | इस प्रकार कि गलती से हमें वांछित सही परिणाम प्राप्त नहीं होता है | इसे सुधारने के लिए प्रोग्राम से ऐसी समस्याओं का हल माँगा जाता है , जिसका परिणाम हमें पहले से ही पता होता है | ऐसा करने से यदि प्रोग्राम में कहीं पर तार्किक कमी हो तो पता चल जाता है | इस प्रकिया को प्रोग्राम टेस्टिंग करना कहते है |

    7. (Program Documentation ) प्रोग्राम विवरण

    कई बार प्रोग्राम इतने बड़े  व जटिल हो जाते है कि कब कहाँ और क्या होना है और कौनसा प्रोग्राम क्यों लिखा गया था इसका पता ही नहीं चल पाता है | इस तरह कि समस्याओं से बचने के लिए प्रोग्राम में कई जगहों पर ऐसी टिप्पणियां डाल दी जाती है , जिससे पता चल सके कि प्रोग्राम क्या है व वह प्रोग्राम क्यों लिखा गया है |

     

     



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